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Hindi Sayings

Dilon mein tum apni

Betaabiyan leke chal rahe ho

Toh zinda ho tum

Nazar mein khwabon ki

Bijliyan leke chal rahe ho

Toh zinda ho tum

Hawa ke jhokon ke jaise

Aazad rehna sikho

Tum ek dariya ke jaise

Lehron mein behna sikho

Har ek lamhe se tum milo

Khole apni bhaayein

Har ek pal ek naya samha

Dekhen yeh nigahaein

Jo apni aankhon mein

Hairaniyan leke chal rahe ho

Toh zinda ho tum

Dilon mein tum apni

Betaabiyan leke chal rahe ho

Toh zinda ho tum

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तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है,

कहीं ज़ख्म तो कहीं पीठ में खंजर क्यों है...

सुना है तू हर ज़र्रे में है रहता, फिर ज़मीं पर कहीं मस्जिद तो कहीं मंदिर क्यों है...

जब रहने वाले दुनियां के हर बन्दे तेरे हैं, फिर कोई किसी का दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है...

तू ही लिखता है हर किसी का मुक़द्दर, फिर कोई बदनसीब तो कोई मुक़द्दर का सिक्कंदर क्यों है!!! --


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पानी से तस्वीर कहा बनती है,

ख्वाबों से तकदीर कहा बनती है,

किसी भी रिश्ते को सच्चे दिल से निभाओ,

ये जिंदगी फिर वापस कहा मिलती है

कौन किस से चाहकर दूर होता है,

हर कोई अपने हालातों से मजबूर होता है,

हम तो बस इतना जानते है,

हर रिश्ता "मोती"और हर दोस्त "कोहिनूर" होता है।

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यहाँ सब कुछ बिकता है , दोस्तों रहना जरा संभाल के !!!

बेचने वाले हवा भी बेच देते है , गुब्बारों में डाल के !!!

सच बिकता है , झूट बिकता है, बिकती है हर कहानी !!!

तीन लोक में फेला है , फिर भी बिकता है बोतल में पानी!!!

कभी फूलों की तरह मत जीना,

जिस दिन खिलोगे... टूट कर बिखर्र जाओगे ।

जीना है तो पत्थर की तरह जियो;

जिस दिन तराशे गए..."खुदा"बन जाओगे ।।

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बहुत समय पहले की बात है , एक राजा को उपहार में किसी ने बाज के दो बच्चे भेंट किये । वे बड़ी ही अच्छी नस्ल के थे , और राजा ने कभी इससे पहले इतने शानदार बाज नहीं देखे थे।

राजा ने उनकी देखभाल के लिए एक अनुभवी आदमी को नियुक्त कर दिया।

जब कुछ महीने बीत गए तो राजा ने बाजों को देखने का मन बनाया , और उस जगह पहुँच गए जहाँ उन्हें पाला जा रहा था। राजा ने देखा कि दोनों बाज काफी बड़े हो चुके थे और अब पहले से भी शानदार लग रहे हैं ।

राजा ने बाजों की देखभाल कर रहे आदमी से कहा, ” मैं इनकी उड़ान देखना चाहता हूँ , तुम इन्हे उड़ने का इशारा करो । “

आदमी ने ऐसा ही किया।

इशारा मिलते ही दोनों बाज उड़ान भरने लगे , पर जहाँ एक बाज आसमान की ऊंचाइयों को छू रहा था , वहीँ दूसरा , कुछ ऊपर जाकर वापस उसी डाल पर आकर बैठ गया जिससे वो उड़ा था।

ये देख , राजा को कुछ अजीब लगा.

“क्या बात है जहाँ एक बाज इतनी अच्छी उड़ान भर रहा है वहीँ ये दूसरा बाज उड़ना ही नहीं चाह रहा ?”, राजा ने सवाल किया।

” जी हुजूर , इस बाज के साथ शुरू से यही समस्या है , वो इस डाल को छोड़ता ही नहीं।”

राजा को दोनों ही बाज प्रिय थे , और वो दुसरे बाज को भी उसी तरह उड़ना देखना चाहते थे।

अगले दिन पूरे राज्य में ऐलान करा दिया गया कि जो व्यक्ति इस बाज को ऊँचा उड़ाने में कामयाब होगा उसे ढेरों इनाम दिया जाएगा।

फिर क्या था , एक से एक विद्वान् आये और बाज का प्रयास करने लगे , पर हफ़्तों बीत जाने के बाद भी बाज का वही हाल था, वो थोडा सा उड़ता और वापस डाल पर आकर बैठ जाता।

फिर एक दिन कुछ अनोखा हुआ , राजा ने देखा कि उसके दोनों बाज आसमान में उड़ रहे हैं। उन्हें अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ और उन्होंने तुरंत उस व्यक्ति का पता लगाने को कहा जिसने ये कारनामा कर दिखाया था।

वह व्यक्ति एक किसान था।

अगले दिन वह दरबार में हाजिर हुआ। उसे इनाम में स्वर्ण मुद्राएं भेंट करने के बाद राजा ने कहा , ” मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ , बस तुम इतना बताओ कि जो काम बड़े-बड़े विद्वान् नहीं कर पाये वो तुमने कैसे कर दिखाया। “

“मालिक ! मैं तो एक साधारण सा किसान हूँ , मैं ज्ञान की ज्यादा बातें नहीं जानता , मैंने तो बस वो डाल काट दी जिसपर

बैठने का आदि हो चुका था, और जब वो डाल ही नहीं रही तो वो भी अपने साथी के साथ ऊपर उड़ने लगा। “

दोस्तों, हम सभी ऊँचा उड़ने के लिए ही बने हैं। लेकिन कई बार हम जो कर रहे होते है उसके इतने आदि हो जाते हैं कि अपनी ऊँची उड़ान भरने की , कुछ बड़ा करने की काबिलियत को भूल जाते हैं। यदि आप भी सालों से किसी ऐसे ही काम में लगे हैं जो आपके सही पोटेंशियल के मुताबिक नहीं है तो एक बार ज़रूर सोचिये कि कहीं आपको भी उस डाल को काटने की ज़रुरत तो नहीं जिसपर आप बैठे हुए हैं ?

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"Missing school life" must read

Ek hi color ka dress pehen kar hum lagte they kitne achay,

School lagta tha poultry farm aur hum sab murghi k bachay,

Mujhko samaj na aya aj tak teacher ka ye funda,

Hume bana deti thi murgha or khud copy pe deti thi anda.

Jab bachpan tha ,

to jawani ek dream thi

Jab jawan huye ,

to bachpan ek jamaana tha.

jab ghar me rehte the,

aazadi achi lagti thi ..

aaj aazadi he ,fir bhi

ghar jaane ki jaldi rahti hai

kabhi hotel me jana ,

pizza, burger khana pasand tha ..

aaj ghar par aana aur maa

ke hath ka khana pasand hai

School me jinke saath

zagadte the ,

aaj unko hi Internet pe

talashte hai..

khushi kisme hoti hai,

ye pata ab chala hai...

bachpan kya tha,

iska ehsas ab hua hai..

kash badal sakte hum

zindgi k kuch saal ..

kash ji sakte hum,

zindgi fir se ek baar.....
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लक्ष ढूंढ़ते हैं वे जिनको वर्त्तमान से प्यार नहीं है इस पल की गरिमा पर जिनका थोड़ा भी अधिकार नहीं है इस क्षण की गोलाई देखो आसमान पर लुढ़क रही है नारंगी तरुणाई देखो दूर क्षितिज पर बिखर रही है पक्ष ढूंढते हैं वे जिनको जीवन ये स्वीकार नहीं हैं लक्ष ढूंढ़ते हैं वे जिनको वर्त्तमान से प्यार नहीं है नाप नाप के पीने वालों जीवन का अपमान न करना पल पल लेखा जोखा वालों गणित पे यूँ अभिमान न करना नपे तुले वे ही हैं जिनकी बाहों में संसार नहीं है लक्ष ढूंढ़ते हैं वे जिनको वर्त्तमान से प्यार नहीं है ज़िंदा डूबे डूबे रहते मृत शरीर तैरा करते हैं उथले उथले छप छप करते गोताखोर सुखी रहते हैं स्वप्न वही जो नींद उडा दे वरना उसमे धार नहीं है लक्ष ढूंढ़ते हैं वे जिनको वर्त्तमान से प्यार नहीं है कहाँ पहुँचने की जल्दी है नृत्य भरो इस खालीपन में किसे दिखाना तुम ही हो बस गीत रचो इस घायल मन में पी लो बरस रहा है अमृत ये सावन लाचार नहीं है लक्ष ढूंढ़ते हैं वे जिनको वर्त्तमान से प्यार नहीं है कहीं तुम्हारी चिंताओं की गठरी पूँजी ना बन जाए कहीं तुम्हारे माथे का बल शकल का हिस्सा न बन जाए जिस मन में उत्सव होता है वहाँ कभी भी हार नहीं है लक्ष ढूंढ़ते हैं वे जिनको वर्त्तमान से प्यार नहीं है.


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कुछ सही तो कुछ खराब कहते हैं, लोग हमें बिगड़ा हुआ नवाब कहते हैं, हम तो बदनाम हुए कुछ इस कदर, की पानी भी पियें तो लोग शराब कहते हैं...!!! लोगो से कह दो हमारी तकदीर से जलना छोड़ दे, हम घर से दवा नही मा की दुआ लेकर निकलते है... !!! कोई ना दे हमें खुश रहने की दुआ, तो भी कोई बात नहीं... वैसे भी हम खुशियाँ रखते नहीं, बाँट दिया करते है...!!!
*** "Be Your Own Self. Free Your Mind." ***

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